जब जब भी इच्छा होती है रास रचा लेते हैं हम अपने मन के वृंदावन के छोटे कान्हा हम भी हैं।
4.
उस दिन से आज तक हमें जब भी इच्छा होती है रात को बाथरूम के रास्ते एक कमरे में आ जाते हैं और मजे लेते हैं।
5.
निर्धारित रोस्टर के हिसाब से आपूर्रित होनी चाहिए जबकि सिथत यह है कि जब भी इच्छा होती है मनमाने तरीके से बिजली काट दी जाती है कितनी देर के लिए बिजली कटी है किसी को कुुछ भी पता नही रहता ।
6.
मैं तो इब जब भी इच्छा होती है, जाकै किसी भी खेत में तरबूज, ककडी खा लेता हूँ! अगर खेत का मालिक आजाता है तो ये परमिट दिखा देता हूँ! और ये परमिट देख कै वो वापस उलटा चला जाता है!